वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओम पुरोहित 'कागद' जी रो राजस्थान रै सांसदा नै कागद
घणां मानीता अनै आदरजोग सांसद सा , जय राजस्थानी-जय राजस्थान ! आप उण रजस्थान रा घणां हेताळू अनै म्होबी सांसद हो जिण री मायाड़ भाषा राजस्थानी है ! आप ओ भी जाणो हो कै राजस्थान रो नांव ई राजस्थानी भाषा रै ताण थरपीज्यो हो ! आज आज़ादी रै ६३ सालां बाद भी १३ करोड़ राजस्थानी आपरी मायड़ भाशा राजस्थानी री राजमानाता सारू बिलखै ! आपां दुनियां री लूंठी भाषा रा मालक होंवता थकां ईं ग्राम पंचायत सूं लेय’र संसद तांई में आपरी मायड़ भाषा राजस्थानी में नी बोल सकां ! आज़ादी सूं लेय’र हाल तांईं अबोला हां ! आपणी जुबान माथै ताळो है ! संसद में बोलण री दरकार है कै " सगळी भाषावां नै मानता-म्हानै टाळो क्यूं-म्हारी जुबान पर ताळो क्यूं ?"आप सूं आस है कै आप संसद रै शीतकालीन सत्र में आ बात जोरदार ढंग सूं उठास्यो अनै राजस्थानी भाषा नै संविधान री आठवीं अनुसूची में भेळण री मांग मनवा...