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* एक लिफाफा आफ़त बना * प्रियंका को नोटिस * दान का ढोल पीटना भी ठीक नहीं

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 * एक लिफाफा आफ़त बना * प्रियंका को नोटिस * दान का ढोल पीटना भी ठीक नहीं ----------------------------------------------------- अनिल जान्दू  - 9001139999 ------------------------------------------------------- पीएम मोदी ने 28 जनवरी को गुर्जरों के आराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी मंदिर में लिफ़ाफ़े में कितने रूपए चढाए, पिछले कुछ दिनों से यह राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है, जो ठीक नहीं। यह बात दो-तीन महीने पहले भी उठी थी कि पीएम के लिफ़ाफ़े में कितने रूपए थे। कितने भी चढाए हों उससे क्या लेना-देना। लेकिन तब भी यही चर्चा का विषय था और अभी भी यही विषय है। * मंदिर की रस्म के अनुसार दानपात्र को आठ महीने बाद खोला जाता है और जो भी रकम चढाई जाती है उसे सार्वजनिक किया जाता है। अतः अगस्त में दानपात्र को खोला गया, साथ ही पीएम के लिफ़ाफ़े को भी। अब इसी 21 रूपए को प्रियंका वाड्रा ने मंच से चुनावी मुद्दा बना दिया जो ठीक नहीं। वे इससे दस दिन पहले भी दौसा में एक समारोह में यही बोल चुकी हैं, तब भी मैने अपने ब्लॉग में लिखा था कि प्रियंका यह कैसी राजनीति कर रही हैं।अफसोस, इतनी हल्की स्तर की राजनीति सिर्फ कार्य

खुलासा: हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का एक बड़ा युवा वर्ग अब एमडी ड्रग्स की गिरफ्त में

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खुलासा: हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का एक बड़ा युवा वर्ग अब एमडी ड्रग्स की गिरफ्त में एक ग्राम की कीमत 3000 रुपए, ‘चावल’ कोडवर्ड से बिकता है अनिल जांदू और साप्ताहिक राजस्थान स्तम्भ टीम ने जाने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ दोनो जिलों के जमीनी हालात ढाणी, गांव, कस्बें और तहसील तक फैला हुआ है नशे का नेटवर्क हनुमानगढ़/श्रीगंगानगर। नशीले पदार्थ अफीम और स्मैक के बाद अब हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का युवा खतरनाक ड्रग्स एमडी की जकड़ में आने लगा है। एमडी यानी एमडीएमए। फिल्म नगरी मुंबई में यह ड्रग्स बॉलीवुड पार्टियों में उपयोग में ज्यादा आता है। हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में भी सर्वाधिक सप्लाई सीमावर्ती क्षेत्र और डायरेक्ट बंदरगाह मुंबई से ही हो रही है। बताया जा रहा है कि मुंबई में यह यूरोप से तस्करी करके लाया जाता है। सूत्रों के मुताबिक दरअसल हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर के कई बड़े लोग जो इन दिनों राजनीति में सक्रिय हैं का मुंबई से सीधा संपर्क है। हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर एवं इसके आस-पास के इलाकों में यह मादक पदार्थ एमडी 2500 से 3000 हजार रुपए प्रति ग्राम में बिक रहा है जो कोकीन के बाद सबसे महंगा है। युवा इसका सेवन विभिन्न वैरा

खुलासा: हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का एक बड़ा युवा वर्ग अब एमडी ड्रग्स की गिरफ्त में

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 खुलासा : हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का एक बड़ा युवा वर्ग अब एमडी ड्रग्स की गिरफ्त में एक ग्राम की कीमत 3000 रुपए, ‘चावल’ कोडवर्ड से बिकता है अनिल जांदू और साप्ताहिक राजस्थान स्तम्भ टीम ने जाने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ दोनो जिलों के जमीनी हालात ढाणी, गांव, कस्बें और तहसील तक फैला हुआ है नशे का नेटवर्क हनुमानगढ़/श्रीगंगानगर। नशीले पदार्थ अफीम और स्मैक के बाद अब हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का युवा खतरनाक ड्रग्स एमडी की जकड़ में आने लगा है। एमडी यानी एमडीएमए। फिल्म नगरी मुंबई में यह ड्रग्स बॉलीवुड पार्टियों में उपयोग में ज्यादा आता है। हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में भी सर्वाधिक सप्लाई सीमावर्ती क्षेत्र और डायरेक्ट बंदरगाह मुंबई से ही हो रही है। बताया जा रहा है कि मुंबई में यह यूरोप से तस्करी करके लाया जाता है। सूत्रों के मुताबिक दरअसल हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर के कई बड़े लोग जो इन दिनों राजनीति में सक्रिय हैं का मुंबई से सीधा संपर्क है। हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर एवं इसके आस-पास के इलाकों में यह मादक पदार्थ एमडी 2500 से 3000 हजार रुपए प्रति ग्राम में बिक रहा है जो कोकीन के बाद सबसे महंगा है। युवा इसका सेवन विभिन्न वै

टोडिये पालने पर मिल रहे रुपए, किसान राजी

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 टोडिये पालने पर मिल रहे रुपए, किसान राजी ऊंट संरक्षण योजना में पांच-पांच हजार सीधे खाते में हो रहे ट्रांसफर  अब मात्र फोटो खिंचवाने का माध्यम नहीं बनेगा रेगिस्तान का जहाज  ✍️ अनिल  जान्दू हनुमानगढ़/श्रीगंगानगर। इन दिनों राजस्थान प्रदेश ऊंट संरक्षण में सिरमौर बन रहा है। यहां टोडिये यानी कि छोटा ऊंट पालने पर पांच-पांच हजार सीधे खाते में ट्रांसफर किए जा रहे हैं। जी, हां अगर आप ऊंट को पालते हो तो सरकार आपको ईनाम दे रही है। 5-5 हजार की राशि सीधे खाते में आ रही है। इस राशि को लेने के लिए श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ के कुल 975 और पूरे राजस्थान में 17000 ऊंट पालक कतार में लगे है। इसी पहल ने ऊंट संरक्षण में राजस्थान को सिरमौर बना दिया है। राज्य पशु ऊंट के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संवेदनशील राज्य सरकार के द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश में उष्ट्र संरक्षण योजना संचालित की जा रही है। योजना के अंतर्गत ऊंट पालकों को सीधे ही उनके खाते में पांच-पांच हजार रुपए की राशि हस्तांतरित की जा रही है। योजना का उद्देश्य न केवल रेगिस्तान का जहाज ऊँट का संरक्षण करना है बल्कि ऊंट प्रजनन को प्रोत्साहित करना भी है। इस योजना के

कैच लेता चेतो चुक्यो अर वार्नर गो हाडको टूट्यो....

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कैच  ले ता चेतो चुक्यो अर वार्नर गो हाडको टूट्यो.... जी हां कुछ ऐसा ही सुनने को मिलेगा क्योंकि  अब IPL में होगी राजस्थानी में कमेंट्री करोड़ों भाषा प्रेमियों कि भावनाओं का हुआ सम्मान अब सरकार को भी  संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर देनी चाहिए मान्यता राजस्थान रॉयल्स के हर मैच में आकाश पुरोहित करेंगे कमेंट्री कैच लेता चेतो चुक्यो अर वार्नर गो हाडको टूट्यो....जी हां कुछ ऐसा ही सुनने को मिलेगा क्योंकि  अब IPL में होगी राजस्थानी में कमेंट्री। आईपीएल का क्रेज इन दिनों पूरे देश में परवान पर है। लेकिन इस बार आईपीएल के साथ जिओ सिनेमा ने कुछ नवाचार करते हुए स्थानीय भाषा में कमेंट्री को प्रमोट किया है जिसमें राजस्थानी भाषा का भी चयन किया है। जिओ सिनेमा ने करोड़ों भाषा प्रेमियों कि भावनाओं का सम्मान करते हुए यह फैसला लिया है। इसके लिए जोधपुर के कंप्यूटर इंजीनियर आकाश पुरोहित का चयन राजस्थान रॉयल्स फैन पेज पर राजस्थानी भाषा में कमेंट्री के लिए हुआ है। जोधपुर के आकाश अपने तीन और साथियों के साथ राजस्थान रॉयल्स फैन पेज में जियो सिनेमा पर मैच के प्रसारण के दौरान राजस्थानी भाषा और हिंदी में कमेंट्

अब सतर्क रहने की जरूरत, मास्क को लेकर ना बरते लापरवाही

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श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में जब-जब कोरोना आया बीकानेर या पंजाब से आया  प्रथम दस्तक चिकित्सालय में और चिकित्साकर्मी लापरवाह श्रीगंगानगर में दो नये कोरोना रोगी, बीकानेर में कलक्टर भी संक्रमित  बीकानेर में एक्टिव केस का आंकड़ा 28 से ऊपर   ✍️ अनिल जान्दू हनुमानगढ़ में अभी कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित नही मिल रहे। ये सोचना हमारी घोर लापरवाही है। कोरोना के सभी नियमों कि पालना तो दूर कि बात है लेकिन सूटकेस, अलमारियों में बंद मास्क तो अब निकाल कर पहनना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि अब एक बार फिर से कोरोना रोग में बढ़ोतरी का सिलसिला आरंभ हो गया है। मास्क को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अब चेतावनी दे दी है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर जल्द ही इस स्थिति को नहीं बदला गया तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं। अधिकतर लोग सार्वजनिक जगहों, बाजारों, पार्क और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बिना मास्क के चल रहे हैं जो एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। इसके नतीजे हम देख चुके है और भुगतभोगी भी है। बहुत कुछ खोया भी है। एक बार पीछे नजर दौड़ा कर देखिए जब-जब श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में कोरोना आया है बीकानेर या पंजाब मार्ग से ही आया है।

अप्रैल में छाया सावन का बदरा, तेज हवा और बारिश से फसलों को नुकसान

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बदलते मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता गेहूं, सरसों की तैयार फसल जमीन पर लेटी  बारिश से अगेती नरमा कि फसल कुरंड  @हनुमानगढ़/श्रीगंगानगर ✍️ अनिल जान्दू बार बार बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का सिलसिला इस बार थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बेमौसम बारिश ने शहरों में तो मौसम सुहावना बना दिया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये बारिश किसानों कि मायूसी का कारण बन गई है। मार्च महीने के मध्य में हुई बारिश के बाद अब अप्रैल के महीने में भी तेज बौछारों ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। पहले पंजाब और अब उसके साथ लगते सीमावर्ती राजस्थान के जिले श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ में भी ये बारिश आफत बनकर बरसी है। क्षेत्र में तेज ठंडी हवाओं के साथ हुई बारिश से फसलों को जहां व्यापक नुकसान हुआ है। इस नुकसान कि भरपाई कैसे होगी और फसल में लगे खर्च कैसे निकलेगा इसको लेकर किसान वर्ग चितित हैं। किसी किसान ने सरसों कि ज्यादा बिजाई की तो उसे भारी नुकसान हुआ है तो किसी कें जौ, गेंहू (कणक) को तेज हवा, बारिश ने जमीन पर लेटा दिया है। क्षेत्र के बहुत सारे किसान जो नरमें की अगेती बिजाई में जुटे हुए थे। उनकी सारी मेहनत

हनुमान बेनीवाल, भगवंत मान और केजरीवाल एक साथ

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- क्या साधने की तैयारी में हैं इस बार राजस्थान - अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त विकास आयोग के अध्यक्ष पवन गोदारा भी रहे मौजूद  - मौका रहा हनुमानगढ़ कि दोहिती दिया बिटिया का बर्थडे उत्सव अनिल जान्दू नागौर सांसद हनुमान  बेनीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, हनुमानगढ़ से  राजस्थान सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त विकास आयोग के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त) पवन गोदारा और दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल की ये तस्वीर आने वाले सियासी समीकरणों को बयां करने के लिए काफी है। मौका रहा हनुमान बैनीवाल कि बिटिया ओर हनुमानगढ़ कि दोहिती दीया  के जन्मदिन का।   राजस्थान के सरहदी जिले श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ से लेकर शेखावाटी तक में बेनीवाल की खास पैठ है। वैसे भी हनुमानगढ़ जिले में तो उनकी ससुराल है। ऐसे में दिल्ली में ली गई इस तस्वीर के बाद आम आदमी पार्टी के आगामी होने वाले जयपुर सम्मेलन में कई ऐसी नई तस्वीरें भी देखने को मिल सकती है। याद दिला दें साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल की बोतल निशान पार्टी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के चलते बीजेपी, जाट बेल्ट में कमजोर साबित हुई थी। जिसके बाद 2019 में लोकस

राइट टू हेल्थ के बाद अब बनेंगे नए जिले और संभाग

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 चुनावी साल में किसी को नाराज नहीं करेंगे गहलोत अनिल  जान्दू इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए सीएम अशोक गहलोत का 19 जिले बनाने और राइट टू हैल्थ का मास्टर स्ट्रोक अब उनके ही गले की फांस बन गया। नए जिलों और राइट टू हैल्थ बनने की खुशी के साथ-साथ इन फैसलों के विरोध का लावा ऐसा धधकने लगा है कि इसकी आंच से मंत्री और विधायक ही सरकार पर सवालिया निशान उठाने लगे। डॉक्टर सड़कों पर उतर आए ओर जो जिले नहीं बन पाए, उनका विरोध अलग मुखर हो रहा है। आज राइट टू हैल्थ को शर्तों के साथ लागू करवाने में अशोक गहलोत सरकार सफल हो गई। डॉक्टर्स और सरकार के बीच हुआ समझौता हो गया, वहीं दूसरी तरफ पहले ही जिलों की बरसात कर चुकी सरकार विरोध दबाने के लिए कुछ और नए जिले बनाने पर अब मंथन कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजस्थान में नये जिलों की न सिर्फ डिमांड है, बल्कि कुछ क्षेत्रों को जरूरतों के हिसाब से और प्रशासनिक दृष्टि से जिला बनाना श्रेयस्कर भी है। पर कुछ जिले ऐसे बने हैं, जिसने रार बढ़ा दी है। दरअसल, जिलों को बनाने में ‘अंधे को न्यौते, दो जने आवें’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जिलों

भटनेर - अपने फायदे के बिना कोई किसी को देता हिम्मत नहीं.....

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 कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना...... आज कल पॉलिटिकल अखाड़े में यह प्रचलन बढ़ गया है। निशाने पर दरअसल कोई और होता है लेकिन नजर किसी और पर लगी होती है। दरअसल भटनेर नगरी में बहुत सारे लोगों को इस बात का भय सता रहा है कि लम्बे समय बाद आ रही पॉवर और सत्ता हाथ से खिसक ना जाये। लो जी अब कल ही एक नई बात मालूम हुई और साथ ही बड़ी हैरानी भी हुई जब मालूम पड़ा कि विधानसभा क्षेत्र के भगवा पार्टी खेमा वर्सेज बोले तो डॉ. साहब एंड कम्पनी में विरोध उत्पन्न हो गया है। मुझे तो ये बात हजम नहीं हुई। जो आज तक नहीं हुआ वो आज कैसे सम्भव हो सकता है। भटनेर नगरी के नज़ारे तो कुछ ओर ही है। एक गाना तो जरूर सुना होगा सौदागर फिल्म का ''इमली का बूटा, बेरी का पेड़ - इस जंगल के हम दो शेर''। तो फिर बाबू मोशाय, यहां विरोध जैसा कुछ भी नहीं होने वाला राजनीती है उसे राजनीती मानकर चलिए जनाब। वैसे देखा जाये तो इन विधानसभा चुनावों में अगर शाह-मोदी सरकार ने गुजरात और हिमाचल पैट्रन को राजस्थान में लागु किया तो फ़ाइनल डॉक्टर साहब कि टिकट उम्र के हिसाब से गई और वैसे भी पार्टी एजेण्डा में सुनहरी अक्षरों में मोटा मोटा लि

सरकार सही है या डॉक्टर्स ?

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‼️कहीं ऐसा न हो जाए कि सरकार इन अस्पतालों और डॉक्टरों का ईलाज़ न कर पाए और जनता को आगे आना पड़े?‼️  _सरकार सही है या डॉक्टर्स ? इस सवाल के बीच फंसी हुई हैं जनता की साँसें!  "राईट टू हैल्थ" जाए भाड़ में !! "राईट टू सर्वाइव" को ज़िन्दा रखा जाए!  ✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी  राईट टू हेल्थ यानि चिकित्सा का अधिकार!यह अधिकार आम नागरिकों के लिए एक ऐसा अधिकार है जिसका यदि सही तरह से निर्वाह हो तो आम और सर्वहारा वर्ग का जीवन यापन बेहद सरल हो सकता है। यह बिल वास्तव में प्रजातांत्रिक मुल्क में राम राज्य की कल्पना साकार होने जैसा है। राजस्थान में इस बिल को पारित कर दिया गया है। हम यह सोच रहे थे कि सर्वहारा वर्ग का इस बिल से स्वास्थ्य सुरक्षित हो जाएगा।इतना लोक कल्याणकारी बिल यदि पारित किया गया है तो इसका स्वागत होना चाहिए था मगर ये क्या? यहाँ तो बिल के विरोध में सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स, कर्मचारी, मेडिकल स्टोर्स तक विरोध में उतर आए हैं। विरोध भी ऐसा की बिल में जो अधिकार आम आदमी को दिए गए थे वही छीन लिए गए हैं। आपातकालीन सेवाएं तक ख़तरे में डाल दी गईं हैं। मरीज़ मूल भूत चिकित्सा