भटनेर - अपने फायदे के बिना कोई किसी को देता हिम्मत नहीं.....

 कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना......

आज कल पॉलिटिकल अखाड़े में यह प्रचलन बढ़ गया है। निशाने पर दरअसल कोई और होता है लेकिन नजर किसी और पर लगी होती है। दरअसल भटनेर नगरी में बहुत सारे लोगों को इस बात का भय सता रहा है कि लम्बे समय बाद आ रही पॉवर और सत्ता हाथ से खिसक ना जाये। लो जी अब कल ही एक नई बात मालूम हुई और साथ ही बड़ी हैरानी भी हुई जब मालूम पड़ा कि विधानसभा क्षेत्र के भगवा पार्टी खेमा वर्सेज बोले तो डॉ. साहब एंड कम्पनी में विरोध उत्पन्न हो गया है। मुझे तो ये बात हजम नहीं हुई। जो आज तक नहीं हुआ वो आज कैसे सम्भव हो सकता है। भटनेर नगरी के नज़ारे तो कुछ ओर ही है। एक गाना तो जरूर सुना होगा सौदागर फिल्म का ''इमली का बूटा, बेरी का पेड़ - इस जंगल के हम दो शेर''।
तो फिर बाबू मोशाय,
यहां विरोध जैसा कुछ भी नहीं होने वाला राजनीती है उसे राजनीती मानकर चलिए जनाब। वैसे देखा जाये तो इन विधानसभा चुनावों में अगर शाह-मोदी सरकार ने गुजरात और हिमाचल पैट्रन को राजस्थान में लागु किया तो फ़ाइनल डॉक्टर साहब कि टिकट उम्र के हिसाब से गई और वैसे भी पार्टी एजेण्डा में सुनहरी अक्षरों में मोटा मोटा लिख चुकी है कि वंशवाद को बढ़ावा नहीं दिया जायेगा यानी कि राजनीतिज्ञों कि नवपीढी का भविष्य अधरझूल में है ? वैसे भी भटनेर नगरी के टाउन वाले दंत चिकित्सक सहारण साहब ने वंशवाद के खिलाफ खुलकर बीड़ा उठा रखा है।
अब देखा जाये तो 'चित भी अपनी रहनी चाहिए और पुट भी अपनी '
अब अब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की कार्यशैली और पार्टी नियमों को देखते हुए ये सब कैसे संभव हो पायेगा इसका तोड़ तो निकालना पड़ेगा जनाब?
अब पार्टी के जिलाध्यक्ष महोदय तो जयपुर जाट महाकुम्भ में भी हाजरी लगा चुके है और एसटी, एससी और ओबीसी महापंचायत का समर्थन भी खुल कर करते है। इसलिए बात में दम है। वहीं रही बात पूर्व कृषि मंडी बोर्ड अध्यक्ष साहब की तो इन्होंने पार्टी कि सेवा भटनेर नगरी में रीढ़ की हड्डी बनकर कि है। क्या-क्या नहीं किया इन्होने पार्टी के वास्ते वैसे सबसे ज्यादा बेहतर तो डॉक्टर साहब और उनका परिवार ही जानता है। पार्टी की सेवा करते हुए उम्र का एक लम्बा पड़ाव गुजार दिया इसलिए इन्हे भी आगे आने का एक मौका मिलना चाहिए।
अब पार्टी चाहे किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाये ''डी '' कम्पनी हमेशा फायदे में रहने वाली है। वैसे कम्पनी के बाहर के लोग भी इस दौड़ में शामिल है। जिसमें सबको सबसे ज्यादा खतरा सभापति महोदय से है वैसे पूर्व पार्षद, युवा मोर्चा अध्यक्ष और संघ से जुड़े लोग भी कतार में है। 
चलते चलते....

''मन में उनके उसूलों का
पहाड़ चकनाचूर हो गया..
विरोधियों के कारनामों से
मैं खुद ही मशहूर हो गया..!

विस्तार से कल 
फिर मिलते है.......चुनावी चर्चा में 

अनिल जान्दू
9001139999

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