अप्रैल में छाया सावन का बदरा, तेज हवा और बारिश से फसलों को नुकसान

बदलते मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता

गेहूं, सरसों की तैयार फसल जमीन पर लेटी 

बारिश से अगेती नरमा कि फसल कुरंड 

@हनुमानगढ़/श्रीगंगानगर


✍️ अनिल जान्दू



बार बार बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का सिलसिला इस बार थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बेमौसम बारिश ने शहरों में तो मौसम सुहावना बना दिया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये बारिश किसानों कि मायूसी का कारण बन गई है। मार्च महीने के मध्य में हुई बारिश के बाद अब अप्रैल के महीने में भी तेज बौछारों ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। पहले पंजाब और अब उसके साथ लगते सीमावर्ती राजस्थान के जिले श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ में भी ये बारिश आफत बनकर बरसी है। क्षेत्र में तेज ठंडी हवाओं के साथ हुई बारिश से फसलों को जहां व्यापक नुकसान हुआ है। इस नुकसान कि भरपाई कैसे होगी और फसल में लगे खर्च कैसे निकलेगा इसको लेकर किसान वर्ग चितित हैं। किसी किसान ने सरसों कि ज्यादा बिजाई की तो उसे भारी नुकसान हुआ है तो किसी कें जौ, गेंहू (कणक) को तेज हवा, बारिश ने जमीन पर लेटा दिया है। क्षेत्र के बहुत सारे किसान जो नरमें की अगेती बिजाई में जुटे हुए थे। उनकी सारी मेहनत बेकार गई। मंहगा बीज और डीजल, मशीनरी और मेहनत सब बेकार। किसान करें भी तो क्या करें ?बारिश से नरमा कि फसल कुरंड हो गई फसल अब दोबारा बिजाई से प्रति बीघा करीब तीन हजार रुपए का नुकसान हुआ है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक नरमा-कपास की बिजाई का 15 अप्रैल से 15 मई तक उपयुक्त समय रहता है लेकिन वर्तमान में अधिकांश किसान अप्रैल माह कि शुरुआत से बिजाई शुरू कर देते है। क्षेत्र के किसानों की हालत खराब है। अप्रैल माह में बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की फसल को अधिक नुकसान पहुंचाया है। जिसका बिजाई रकबा (क्षेत्रफल) भी अधिक है। जो पछेती गेहूं पकने के कगार पर था उसके कटनी में अब समय लगेगा। गेहूं की बाली सूखने के बाद ही किसान उसे काट सकेंगे। वहीं बारिश और आंधी के कारण अगेती गेहूं की फसल खेत में गिरकर बर्बाद हो रहा है। खरीफ सीजन कि फसल और किन्नू के बागों से नुकसान झेलने के बाद किसानों को इस बार की फसल  से काफी ज्यादा उम्मीदें थी, लेकिन अब ये उम्मीदें निराशा में बदल चुकी हैं। पिछले साल भी मौसम बदलने से गेहूं की फसलों में थोड़ा बहुत नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार की बारिश ने गेहूं की फसल को कई जगहों पर बिल्कुल ही गिरा दिया है। किसानों ने बताया कि अब बिछे हुए गेहूं की कटाई में ज्यादा मेहनत और लागत खर्च करनी पड़ेगी। यदि जल्दी इस फसल को समेटा ना गया तो इसके जमने का खतरा भी बढ़ जाएगा साथ ही दाने कि क्वालिटी और चमक पर भी असर पड़ेगा।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

देर रात संगरिया क्षेत्र में लोहे की रॉड से पीट-पीट कर युवक की हत्या

प्रशासन शहरों के संग अभियान में जारी गलत पट्टे रद्द होने शुरू

राइट टू हेल्थ के बाद अब बनेंगे नए जिले और संभाग

खुलासा: हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का एक बड़ा युवा वर्ग अब एमडी ड्रग्स की गिरफ्त में

आखिर अचानक क्यों निकल पड़े पड़े सुबह - सुबह घर से CM भजनलाल ?

शादी में आखिर तोरण क्यों मारा जाता है, इस रस्म के किए बगैर फेरे क्यों नहीं होते ?

हनुमान बेनीवाल, भगवंत मान और केजरीवाल एक साथ

टोडिये पालने पर मिल रहे रुपए, किसान राजी

जाट समाज ने बढ़ा दी सीएम की टेंशन! भजनलाल शर्मा के गृह जिले में मचेगा बवाल?

निःशुल्क विशेष योग्यजन सहायक उपकरण वितरण शिविर का शुभारंभ।