राइट टू हेल्थ के बाद अब बनेंगे नए जिले और संभाग
चुनावी साल में किसी को नाराज नहीं करेंगे गहलोत
अनिल जान्दू
इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए सीएम अशोक गहलोत का 19 जिले बनाने और राइट टू हैल्थ का मास्टर स्ट्रोक अब उनके ही गले की फांस बन गया। नए जिलों और राइट टू हैल्थ बनने की खुशी के साथ-साथ इन फैसलों के विरोध का लावा ऐसा धधकने लगा है कि इसकी आंच से मंत्री और विधायक ही सरकार पर सवालिया निशान उठाने लगे। डॉक्टर सड़कों पर उतर आए ओर जो जिले नहीं बन पाए, उनका विरोध अलग मुखर हो रहा है। आज राइट टू हैल्थ को शर्तों के साथ लागू करवाने में अशोक गहलोत सरकार सफल हो गई। डॉक्टर्स और सरकार के बीच हुआ समझौता हो गया, वहीं दूसरी तरफ पहले ही जिलों की बरसात कर चुकी सरकार विरोध दबाने के लिए कुछ और नए जिले बनाने पर अब मंथन कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजस्थान में नये जिलों की न सिर्फ डिमांड है, बल्कि कुछ क्षेत्रों को जरूरतों के हिसाब से और प्रशासनिक दृष्टि से जिला बनाना श्रेयस्कर भी है। पर कुछ जिले ऐसे बने हैं, जिसने रार बढ़ा दी है। दरअसल, जिलों को बनाने में ‘अंधे को न्यौते, दो जने आवें’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जिलों के गठन के लिए रामलुभाया कमेटी के पास 60 शहरों को जिला बनाने के प्रस्ताव आए थे। ऐसे में इनमें से कुछ को जिला बनाकर दूसरों के नाराज होने का खतरा था। गहलोत सरकार द्वारा 19 जिलों और तीन संभागों की घोषणा से यही हुआ। हमारे हनुमानगढ़ में नोहर और श्रीगंगानगर में सूरतगढ़ व अनूपगढ़ को जिला नहीं बनाने से स्थानीय लोग और जनप्रतनिधि आक्रोशित हो रहे हैं। इसके अलावा चूरू के सुजानगढ़, अलवर के तिजारा, टोंक के मालपुरा और जयपुर के फुलेरा कस्बे समेत कई शहरों के लोग जिला नहीं बनाने से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी बरसों की मांग पूरी नहीं कर रही है। सूत्र बताते हैं कि कमेटी ने तो कुछ ही नए जिलों के नाम सुझाए थे, लेकिन सभी ‘डिमांडिंग’ नेताओं को साधने के चलते ऐसे-ऐसे जिले बना दिए गए हैं, जहां के लोग नए जिले में जाना ही नहीं चाहते। दूसरी ओर ‘पिक एंड चूज’ की नीति को अपनाते हुए ऐसे शहरों को जिला नहीं बनाया गया है, जहां के लोग बरसों को मांग कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने जयपुर जिले में शामिल दूदू को भी नया जिला बनाया है। लेकिन जयपुर की बगरू तहसील दूदू में जाने को तैयार नहीं है। बगरू से कांग्रेस विधायक गंगा देवी भी दूदू जिले में शामिल नहीं होना चाहती हैं। इसी प्रकार झुंझुनूं जिले के गुढा को सीकर से तोड़कर नए जिले बनाए गए नीमकाथाना में मिलाने का विरोध किया जा रहा है।
नाराजगी दूर करने को फिर बनेंगे नए जिले-संभाग!
नए जिलों की घोषणा के बाद से ही राज्य भर में उठ रहे विरोध के स्वरों को राइट टू हैल्थ के बाद गहलोत सरकार ने गंभीरता से लिया है। वो चुनावी साल में लोगों को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए जिन कस्बों-शहरों को पात्रता के बाद भी जिला घोषित नहीं किया गया है, वहां की जनता और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार कदम उठा सकती है। रामलुभाया कमेटी से सरकार ने कुछ और जिलों व संभाग के बारे में रिपोर्ट मांगी है। क्योंकि भीलवाड़ा, नागौर, बाड़मेर, सवाईमाधोपुर और चित्तौड़गढ़ में से संभाग बनाने की मांग तेज हो गई है। इसे देखते हुए प्रदेश में न सिर्फ कुछ और नए जिले और संभाग बनाए जा सकते हैं, बल्कि जिलों की सीमा और उनमें शामिल किए जाने वाले क्षेत्रों का निर्धारण स्थानीय लोगों की सहमति से भी होगा।
चलते चलते....
'.कुछ माँगने के लिए
झुकना चाहिए,कुछ देने के लिए
ज्यादा झुकना चाहिए.......!
अनिल जान्दू
9001139999
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